5 points about Pongal festival in Hindi

दक्षिण भारत के खेतों में जब धान की सुनहरी बालियां हवा में लहराती हैं और सूरज अपनी गर्मी से फसल को पकाता है, तभी मनाया जाता है पोंगल का रंगारंग और पावन त्योहार. यह सिर्फ फसल कटाई का जश्न नहीं, बल्कि सूर्यदेव और माता प्रकृति के आशीर्वाद का चार दिवसीय उत्साह है.

पोंगल महोत्सव के 5 खास पहलू:

  1. सूर्यदेव और माता प्रकृति का आभार: पोंगल सूर्य देवता और माता प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का चार दिवसीय उत्सव है. किसान फसल के लिए उनका आभार प्रकट करते हैं.
  2. प्रतीकात्मक परंपराएं: प्रत्येक दिन की अपनी ही खास परंपराएं हैं. भोगी पर पुराने सामान जलाकर नए की शुरुआत का स्वागत किया जाता है. थाई पोंगल पर पवित्र पोंगल बनाया जाता है, जो समृद्धि का प्रतीक है. माट्टू पोंगल पशुओं के प्रति कृतज्ञता का दिन है, जबकि कानूम पोंगल रंगारंग कोलम और खुशियों से भरा है.
  3. सामुदायिक उत्सव: पोंगल सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं, बल्कि पूरे समुदाय को एकजुट करने का उत्सव है. लोग नए कपड़े पहनते हैं, घरों को सजाते हैं, ढोल की थाप पर नाचते हैं और पोंगल का स्वादिष्ट भोजन साझा करते हैं.
  4. परंपरागत स्वाद: इस समय पोंगल पकवान की तयारी घर घर में होती है पोंगल का स्वाद ही अलग होता है. ताज़ी फसल से बना मीठा पोंगल, खोया और गुड़ का खीर, वेंकटेश्वर स्वामी वड़ा जैसे लजीज़ पकवान हर घर में मिलते हैं.
  5. नए साल का स्वागत: पोंगल के दौरान तमिल नव वर्ष “थाई” भी मनाया जाता है. पोंगल की खुशियों के साथ नए साल का शुभारंभ होता है, जिसमें शुभकामनाएं और उम्मीदें हर किसी के दिल में होती हैं.

Pongal festival date – 15th Jan 2024

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